लंदन में साइना
नेहवाल के कांस्य के बाद पीवी सिंधू ने आज रियो में रजत पदक जीतकर भारतीय
बैडमिंटन में सफलता का जो इतिहास लिखा है वो नायाब है।
लंदन ओलंपिक में जब साइना कांस्य पदक के लिए खेल
रही थी तो 16 साल की पीवी सिंधू सोच रही थी मेरा नंबर कब आएगा। जैसे-जैसे
कैलेंडर के पन्ने पलटे वैसे-वैसे सिंधू की मेहनत और संकल्प और कड़ा होता
चला गया।
नतीजा सारी दुनिया के सामने है कि सिंधू ने भारतीय शटल को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है, नई उड़ान दे दी है। आज सिंधू ओलंपिक में भारत की सबसे सफल महिला खिलाड़ी बन गई है। और साइना के बाद दूसरी ओलंपिक पदक विजेता भी बनी। सिंधू ने अपने पहले ही ओलंपिक में रजत पदक जीतकर भारतीय खेल का इतिहास रच दिया। वह रजत जीतने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी बन गई हैं।
अपने ही आदर्श और सीनियर खिलाड़ी साइना के नक्शे कदम पर चलकर सिंधू ने वो हासिल कर लिया जो आज तक भारत का कोई बैडमिंटन खिलाड़ी नहीं कर पाया। ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला तो खैर वह बन ही गईं।
नतीजा सारी दुनिया के सामने है कि सिंधू ने भारतीय शटल को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है, नई उड़ान दे दी है। आज सिंधू ओलंपिक में भारत की सबसे सफल महिला खिलाड़ी बन गई है। और साइना के बाद दूसरी ओलंपिक पदक विजेता भी बनी। सिंधू ने अपने पहले ही ओलंपिक में रजत पदक जीतकर भारतीय खेल का इतिहास रच दिया। वह रजत जीतने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी बन गई हैं।
अपने ही आदर्श और सीनियर खिलाड़ी साइना के नक्शे कदम पर चलकर सिंधू ने वो हासिल कर लिया जो आज तक भारत का कोई बैडमिंटन खिलाड़ी नहीं कर पाया। ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला तो खैर वह बन ही गईं।
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