अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कयामत यानी प्रलय के दिन को और करीब ला दिया है। इस काम में रूस के राष्ट्रपति की भी भागीदारी है। ट्रंप के न्यूक्लियर हथियारों और क्लाइमेट चेंज के मुद्दे को लेकर दिए गए बयानों से दुनिया असुरक्षित हुई है। यह दावा हम नहीं, वह मैगजीन कर रही है, जिसमें दुनिया के दिग्गज वैज्ञानिकों ने 'डूम्स डे क्लॉक' यानी प्रलय के दिन की घड़ी की बातें की हैं।
अकादमिक पत्रिका 'बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स' से जुड़े वैज्ञानिकों ने गुरुवार को डूम्स डे क्लॉक में वक्त को 30 सेकंड और पहले कर दिया।
इस पत्रिका को 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु हमले के बाद से प्रकाशित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य न्यूक्लियर और नरसंहार के दूसरे हथियारों, क्लाइमेंट चेंज, नई तकनीक, बीमारियों आदि की वजह से वैश्विक सुरक्षा पर पड़ने वाले खतरों का अध्ययन करना है।
डू्म्स डे क्लॉक बताती है कि मानव इस ग्रह को खत्म करने के कितने करीब है। इससे पहले इस घड़ी के समय में साल 2015 में फेरबदल किया गया था। तब आधी रात के 12 बजे के समय को तीन मिनट पहले कर कर खिसका दिया गया था। इससे पहले किए गए बदलाव में समय को पांच मिनट पहले किया गया था। अब वैत्रानिकों ने प्रलय के दिन का नया वक्त तय किया गया है, जोकि आधी रात से ढाई मिनट पहले यानी 30 सेकंड और करीब आ गया है।
'अमेरिका तब तक बढ़ाए परमाणु हथियार जब तक दुनिया को अक्ल न आ जाए'
प्रलय के दिन की घड़ी में इस फेरबदल की वजह भी बताई गई है, जो बेहद हैरानी भरी है। वैज्ञानिकों, बुद्धिजीवियों और 15 नोबल पुरस्कार विजेताओं की मानें तो ऐसा करने की वजह पूरे विश्व में कट्टर राष्ट्रवाद का उदय, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की परमाणु हथियारों और जलवायु परिवर्तन को लेकर राय, अत्याधुनिक तकनीकी विकास के चलते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य पर गहराया संकट और वैज्ञानिक विशेषज्ञता के प्रति उदासीनता है।
ट्रंप जलवायु परिवर्तन को कई दफा फर्जी मुद्दा बता चुके हैं। कुछ एक बार उन्होंने इस मुद्दे पर बातचीत करने के विचार से भी अवगत कराया। परमाणु शक्ति को लेकर ट्रंप ने दिसंबर में कहा था कि अमेरिका को अपने न्यूक्लियर हथियारों के जखीरे में और इजाफा करना चाहिए।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी कह चुके हैं कि उनके देश को परमाणु ताकत और बढ़ाने की जरूरत है। पुतिन की बात के जवाब में ट्रंप ने ट्वीट कर कहा था कि अमेरिका को अपनी परमाणु क्षमता को इतना मजबूत और विस्तार करना चाहिए जब तक कि दुनिया को परमाणु हथियारों को लेकर अक्ल न आ जाए।
ट्रंप जलवायु परिवर्तन को कई दफा फर्जी मुद्दा बता चुके हैं। कुछ एक बार उन्होंने इस मुद्दे पर बातचीत करने के विचार से भी अवगत कराया। परमाणु शक्ति को लेकर ट्रंप ने दिसंबर में कहा था कि अमेरिका को अपने न्यूक्लियर हथियारों के जखीरे में और इजाफा करना चाहिए।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी कह चुके हैं कि उनके देश को परमाणु ताकत और बढ़ाने की जरूरत है। पुतिन की बात के जवाब में ट्रंप ने ट्वीट कर कहा था कि अमेरिका को अपनी परमाणु क्षमता को इतना मजबूत और विस्तार करना चाहिए जब तक कि दुनिया को परमाणु हथियारों को लेकर अक्ल न आ जाए।
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